Cheque Bounce New Rule 2025 – आजकल भले ही UPI, ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट का जमाना आ गया हो, लेकिन चेक का इस्तेमाल अभी भी बड़े पैमाने पर हो रहा है, खासकर बिजनेस डील और भारी लेनदेन में। लेकिन अगर आप भी चेक से लेनदेन करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार ने अब चेक बाउंस को लेकर नए नियम लागू कर दिए हैं जो पहले से ज्यादा सख्त और असरदार हैं।
दरअसल, बीते कुछ सालों में चेक बाउंस के केस इतनी तेजी से बढ़े हैं कि सरकार को सख्त कदम उठाने पड़े। अब अगर आपने किसी को चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो केवल जुर्माना ही नहीं, बल्कि जेल भी जाना पड़ सकता है। आइए समझते हैं पूरे नियम आसान भाषा में।
चेक बाउंस क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और वह चेक बैंक में जमा करने पर क्लियर नहीं होता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं – जैसे खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं होना, गलत सिग्नेचर, ओवरराइटिंग, या खाता बंद होना। पहले लोग इसे छोटी सी गलती मानते थे, लेकिन अब इसे एक गंभीर अपराध की तरह ट्रीट किया जाएगा।
क्या बदला है नए नियमों में?
सरकार ने अब चेक बाउंस के मामलों को लेकर कानून में बड़ा संशोधन किया है। पहले जहाँ सिर्फ जुर्माना और मामूली कार्रवाई होती थी, अब अगर आपका चेक बाउंस हुआ तो:
- दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा। यानी अगर आपने ₹50,000 का चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो आप पर ₹1 लाख तक का जुर्माना लग सकता है।
- जेल की सजा भी हो सकती है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत अब दोषी को 2 साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- बैंक द्वारा शुल्क – बैंकों को भी अधिकार मिला है कि वे चेक बाउंस होने पर ₹100 से ₹750 तक का चार्ज काट सकें। अगर बार-बार ऐसा होता है तो खाता फ्रीज तक किया जा सकता है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट और डिजिटल ट्रैकिंग
सरकार ने इन मामलों को तेजी से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए हैं। पहले जहां फैसला आने में सालों लगते थे, अब कुछ ही महीनों में फैसला सुनाया जा सकता है। इसके अलावा चेक बाउंस के मामलों की निगरानी के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी लागू किया गया है। इससे मामलों को ट्रैक करना और दोषियों को पकड़ना आसान हो गया है।
कौन हो रहे हैं ज्यादा प्रभावित?
इस नियम से सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारी, किराना दुकानदार और वह लोग महसूस कर रहे हैं जो EMI या उधार चुकाने के लिए चेक का सहारा लेते हैं। हालांकि यह कदम चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और वित्तीय अनुशासन लाने के लिए जरूरी था।
कैसे बचें चेक बाउंस से?
अगर आप भी चेक का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ जरूरी सावधानियां बरतें:
- खाते में बैलेंस रखें – चेक देने से पहले ये जरूर जांचें कि खाते में उतनी रकम है या नहीं।
- सही तारीख और हस्ताक्षर – कई बार गलत सिग्नेचर या ओवरराइटिंग से भी चेक बाउंस हो जाता है।
- SMS अलर्ट ऑन रखें – बैंक से हर ट्रांजैक्शन का अलर्ट मिलने से आपको हर समय पता रहेगा कि आपके अकाउंट में क्या हो रहा है।
- चेक से लेनदेन करते समय फोटो कॉपी रखें – भविष्य में अगर मामला कोर्ट तक जाए तो आपके पास सबूत मौजूद हो।
चेक बाउंस: एक गंभीर अपराध
अब सरकार चेक बाउंस को सिर्फ एक बैंकिंग मिस्टेक नहीं बल्कि एक आपराधिक मामला मान रही है। जानबूझकर या लापरवाही से दिए गए बाउंस चेक के लिए अब कोई ढील नहीं मिलेगी। अगर यह साबित हो जाए कि आपने जानबूझकर ऐसा किया है, तो सजा और भी सख्त हो सकती है।
चेक बाउंस अब हल्की बात नहीं रही। नए नियमों के लागू होने से अब हर किसी को सावधानी बरतनी पड़ेगी। इससे ना केवल लोगों में वित्तीय अनुशासन आएगा बल्कि चेक की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। अगर आप भी चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो अब समय है सतर्क होने का।