CIBIL Score – आजकल हर किसी की जिंदगी में क्रेडिट कार्ड एक जरूरी हिस्सा बन चुका है। चाहे ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो, किसी होटल में बुकिंग करनी हो या अचानक कोई इमरजेंसी खर्च सामने आ जाए, क्रेडिट कार्ड तुरंत मदद करता है। लेकिन कई बार जब सालाना चार्ज ज़्यादा लगने लगते हैं या कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल करने से बिल बढ़ जाता है, तो लोग सोचते हैं – “इस कार्ड को बंद कर देता हूं।” पर यही सोच CIBIL स्कोर को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर देती है – क्या क्रेडिट कार्ड बंद करने से CIBIL स्कोर गिरता है?
इसका जवाब है – हां भी और नहीं भी, यानी कि ये पूरी तरह आपके कदमों पर निर्भर करता है कि आप कार्ड बंद कैसे और कब कर रहे हैं।
क्रेडिट हिस्ट्री की लंबाई का असर
सबसे पहले समझिए कि क्रेडिट स्कोर बनता कैसे है। इसमें आपकी क्रेडिट हिस्ट्री यानी आपने कितने समय से कर्ज या क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया है, इसका काफी बड़ा रोल होता है। ये करीब 15% हिस्सा बनाता है। अब मान लीजिए आपने कोई पुराना कार्ड 7 साल पहले लिया था और अब उसे बंद कर रहे हैं, तो आपकी औसत क्रेडिट हिस्ट्री छोटी हो जाएगी। ये लंबी अवधि में स्कोर को थोड़ा प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, ये असर तुरंत नहीं दिखता क्योंकि बंद किए गए कार्ड की जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में 7-10 साल तक बनी रहती है, बशर्ते आपने उसमें कोई डिफॉल्ट या लेट पेमेंट न किया हो।
क्रेडिट उपयोग अनुपात – सबसे बड़ा फैक्टर
CIBIL स्कोर में सबसे अहम भूमिका होती है – क्रेडिट उपयोग अनुपात (Credit Utilization Ratio)। मतलब आपने जितनी क्रेडिट लिमिट पाई है, उसमें से कितना इस्तेमाल किया है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास दो कार्ड हैं और दोनों की कुल लिमिट 2 लाख है, और आप हर महीने 40 हजार खर्च करते हैं, तो आपका अनुपात 20% हुआ – जो कि अच्छा है।
अब अगर आप एक कार्ड बंद कर दें और कुल लिमिट 1 लाख रह जाए, लेकिन खर्च वही 40 हजार रहे, तो अनुपात बढ़कर 40% हो जाएगा। और यही चीज़ आपके स्कोर को तुरंत नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए कार्ड बंद करने से पहले अपनी क्रेडिट लिमिट और उपयोग अनुपात पर ज़रूर गौर करें।
अस्थायी गिरावट से न घबराएं
कई बार लोग देखते हैं कि कार्ड बंद करते ही स्कोर में 10-20 अंक की गिरावट आ जाती है। लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप समय पर बाकी कार्ड्स का भुगतान कर रहे हैं, तो ये स्कोर कुछ महीनों में फिर से ठीक हो सकता है। अस्थायी असर को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है, बस ध्यान रखें कि आपने प्लानिंग के साथ कदम उठाया हो।
सही तरीका क्या है?
अब सवाल ये उठता है कि अगर कार्ड बंद करना ही है, तो कैसे किया जाए जिससे स्कोर पर कम से कम असर पड़े?
- पहले नया कार्ड लें: अगर आप पुराने कार्ड को बंद करना चाहते हैं तो पहले कोई नया कार्ड ले लें, जिससे आपकी कुल क्रेडिट लिमिट बनी रहे।
- बकाया न छोड़ें: कार्ड बंद करने से पहले सारा बिल चुकता करें। एक भी पेंडिंग पेमेंट बचा हो तो नुकसान हो सकता है।
- पुराना कार्ड संभालें: अगर कोई कार्ड बहुत पुराना है और उसमें कोई वार्षिक शुल्क नहीं है, तो उसे खुला रखें। इससे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री लंबी बनी रहेगी।
- बैंक से बात करें: कई बार बैंक आपके वार्षिक शुल्क को माफ कर सकते हैं अगर आप पुराने ग्राहक हैं। पूछने में क्या जाता है?
- छोटा खर्च करते रहें: जिन कार्ड्स का आप इस्तेमाल नहीं करते, उन पर साल में 2-3 बार छोटा खर्च करें और समय पर भुगतान करें। इससे कार्ड एक्टिव भी रहेगा और स्कोर भी मजबूत रहेगा।
निष्क्रिय कार्ड को खुद बंद न करें तो?
अगर आप किसी कार्ड को बिल्कुल यूज नहीं कर रहे हैं, और बैंक ने काफी समय तक कोई ट्रांजैक्शन न होने पर उसे बंद कर दिया, तो भी असर पड़ सकता है। इसलिए बेहतर यही है कि बैंक से पहले आप ही उस कार्ड को मैनेज करें – चाहे उसे बंद करें या एक्टिव रखें, लेकिन सोच-समझकर।
CIBIL स्कोर बढ़ाने के स्मार्ट तरीके
अगर आप सिबिल स्कोर सुधारना चाहते हैं, तो इसके लिए सिर्फ कार्ड बंद करना या चालू रखना ही उपाय नहीं है। कुछ आसान टिप्स अपनाइए:
- हर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल को समय पर चुकाइए
- हर महीने सिर्फ मिनिमम अमाउंट नहीं, पूरा बिल चुकाइए
- हर 6 महीने में क्रेडिट रिपोर्ट ज़रूर जांचें
- बार-बार लोन या कार्ड के लिए अप्लाई न करें
- EMI, कार्ड, होम लोन जैसे क्रेडिट के मिक्स को बैलेंस रखें
- स्टेटमेंट डेट से पहले ही थोड़ा पेमेंट कर दीजिए ताकि बैलेंस कम दिखे
क्रेडिट कार्ड बंद करना कोई गलत फैसला नहीं है, लेकिन अगर बिना सोच-विचार के कर दिया तो सिबिल स्कोर को नुकसान हो सकता है। खासतौर पर क्रेडिट लिमिट में गिरावट और क्रेडिट हिस्ट्री के छोटे होने से स्कोर गिर सकता है। लेकिन अगर आप कार्ड बंद करते वक्त सही स्ट्रेटेजी अपनाते हैं – जैसे नया कार्ड लेना, बकाया चुकाना और स्कोर को बैलेंस करना – तो आप इस असर को कम कर सकते हैं।
याद रखिए, सिबिल स्कोर आज की दुनिया में आपकी वित्तीय सेहत का रिपोर्ट कार्ड है। इसे अच्छा बनाए रखने के लिए समझदारी से फैसले लें, न कि जल्दबाज़ी में।