क्या अब नहीं मिलेगा बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा? जानें सुप्रीम कोर्ट का फैसला Daughters Inheritance Rights

By Prerna Gupta

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Daughters Inheritance Rights – आजकल सोशल मीडिया और कई न्यूज़ चैनल्स पर ये बात तेजी से फैल रही है कि अब बेटियों को पिता की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के सारे अधिकार खत्म कर दिए हैं? क्या अब सिर्फ बेटों को ही संपत्ति में अधिकार मिलेगा? लेकिन असलियत इससे काफी अलग है। चलिए इस पूरे मामले को आसान और समझने लायक भाषा में विस्तार से समझते हैं ताकि किसी को भी ग़लतफहमी न रहे।

सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला: हक नहीं छीना, बस कंफ्यूजन क्लियर किया

सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में दिए अपने हालिया फैसले में यह साफ-साफ कहा है कि अगर कोई पिता अपनी मेहनत से संपत्ति अर्जित करता है (यानि स्व-अर्जित संपत्ति) और वह संपत्ति उसने वसीयत के ज़रिए किसी खास व्यक्ति को दे दी है, तो उस पर कोई भी बेटा या बेटी अपना हक नहीं जता सकता।

इसका मतलब ये नहीं है कि बेटियों को अधिकार से वंचित किया गया है। अगर कोई वसीयत मौजूद नहीं है, तो Hindu Succession Act 2005 के अनुसार बेटा और बेटी दोनों को बराबर का अधिकार मिलेगा। साथ ही, अगर संपत्ति पैतृक है (यानि जो कई पीढ़ियों से चली आ रही है), तो उसमें बेटी और बेटा दोनों बराबर के हकदार हैं – चाहे वसीयत हो या नहीं।

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स्व-अर्जित बनाम पैतृक संपत्ति: फर्क समझिए

  • स्व-अर्जित संपत्ति: वो संपत्ति जो पिता ने अपनी मेहनत, नौकरी या बिजनेस से खुद कमाई है। इस पर वसीयत बनाकर पिता जिसे चाहे, दे सकते हैं – बेटा, बेटी या कोई बाहरी व्यक्ति।
  • पैतृक संपत्ति: वो संपत्ति जो पिता को उनके पिता या दादा से मिली हो। इस पर बेटा और बेटी दोनों का जन्म से समान अधिकार होता है और वसीयत इसमें ज्यादा असर नहीं डालती।

सिर्फ बेटा या बेटी होना काफी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि सिर्फ बेटा या बेटी होने से कोई व्यक्ति स्व-अर्जित संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी नहीं बन जाता। अगर वसीयत है, तो उसका पालन अनिवार्य होगा। लेकिन अगर वसीयत नहीं है, तो फिर बेटा, बेटी, पत्नी सभी बराबर के हिस्सेदार माने जाएंगे।

क्या वाकई बेटियों के अधिकार खत्म हुए हैं?

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2005 के संशोधन और 2020 के विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा केस के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि बेटी को भी जन्म से पैतृक संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा, ठीक बेटे की तरह – चाहे पिता जिंदा हों या नहीं, और चाहे बेटी शादीशुदा हो या नहीं।

कब नहीं मिलेगा बेटियों को हिस्सा?

कुछ खास परिस्थितियों में बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा:

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  1. अगर संपत्ति स्व-अर्जित है और उस पर पिता ने वसीयत लिख दी है।
  2. अगर पिता ने अपनी संपत्ति जीवनकाल में ही किसी को गिफ्ट कर दी या किसी को बेच दी है।
  3. अगर संपत्ति का बंटवारा पहले ही हो चुका है और सभी पक्ष सहमत हैं।

बेटियों को क्या करना चाहिए?

  1. अपने अधिकारों को समझें – अफवाहों से दूर रहें, सही कानूनी जानकारी लें।
  2. संपत्ति के दस्तावेज़ चेक करें – क्या वो पैतृक है या स्व-अर्जित? क्या कोई वसीयत मौजूद है?
  3. अगर आपका हक बनता है और कोई आपको उसका लाभ नहीं दे रहा है, तो कानूनी सलाह जरूर लें।
  4. विवाद की स्थिति में आप कोर्ट का रुख कर सकती हैं और अपनी बात रख सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट का मकसद: पारदर्शिता और साफ-साफ नियम

यह फैसला बेटियों के खिलाफ नहीं है बल्कि कानून को और स्पष्ट करने के लिए दिया गया है। इसमें सिर्फ इतना कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को किसी खास को देना चाहता है, तो कानून उसे रोक नहीं सकता। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सभी बेटियां अब संपत्ति के अधिकार से बाहर हो गईं।

पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार पहले जैसा ही है – उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

तो दोस्तों, अब साफ हो गया होगा कि “बेटियों को हक नहीं मिलेगा” जैसी खबरें आधी सच्चाई हैं और भ्रम फैलाने वाली हैं। असल में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ यह कहा है कि अगर संपत्ति स्व-अर्जित है और वसीयत मौजूद है, तो उसी के अनुसार संपत्ति बंटेगी। लेकिन अगर पैतृक संपत्ति है या वसीयत नहीं है, तो बेटी का पूरा अधिकार है।

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अगर आप बेटी हैं और आपके परिवार में संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद है, तो घबराएं नहीं। सबसे पहले जानिए कि संपत्ति पैतृक है या स्व-अर्जित। फिर डॉक्युमेंट्स चेक करें – वसीयत है या नहीं। और फिर लीगल सलाह लें। अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना आपका हक है।

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